नागौर राजस्थान -खरतरगच्छीय जैन साध्वीसुरंजनाश्रीजी,सिद्वांजना,मोक्षांजना, नम्रतांजना, नगीना नगरी नागौर मे जन्मी नवदीक्षित साध्वी चित्तलेहांजना म.सा.का चार्तुमास हेत्तु भव्य मंगल नगर प्रेवश दिनांक 11जुलाई 2019 गुरूवार प्रात:8:00 बजे कुशल चौराहा (शारदा बाल स्कूल) के पास से शांतिदेवी,प्रदीपकुमार ,मुकेश कुमार , धनेश बोथरा के निवास स्थान से प्रस्थान करते हुए एंव शहर के माहि दरवाजा,खरादीवाडा, लोहिया का चौक, लोढ़ा का चौक, डागा वाड़ी होते हुए काली पोल स्थित कनक अराधना भवन में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। जहां पर जैन साध्वी सिद्वांजना श्रीजी म.सा.धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि जैन साधु-साध्वी वर्षा काल में कही भी विहार(विचरण) नहीं करते हैं चार महीनों तक एक ही जगह पर चात्तुर्मास करते हैं।
संघ के भास्कर खजांची एवं प्रदीप डागा ने बताया कि इस अवसर पर जैन साध्वी सुरंजना श्रीजी का 64वां दीक्षा दिवस हैं जो कि धुमधाम के साथ में मनाया गया । सुरंजना श्रीजी ने मात्र 14 साल की उम्र में जैनेश्वरी दीक्षा ग्रहण की थीं। इस अवसर पर विचक्षण महिला मण्डल के द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। एवं चिराग़ खजांची ने भजनों की प्रस्तुति दी।
इस अवसर पर रिखबचंद डागा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति से विश्व की अन्य संस्कृति की उत्पत्ति हुई है एक ओर जहां पुरा विश्व भारतीय संस्कृति की अच्छाइयों को ग्रहण करने लगा है। वहीं दूसरी ओर भारतीय युवा पीढ़ी पाश्चातय सभ्यता का अनुसरण करने में लगी है। भावी पीढ़ी में विकार नहीं आवे इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि अपने बच्चों को अच्छे संस्कार मिले इसलिए बच्चों में धार्मिक संस्कार प्राप्त हो उनको संतो एवं गुरूवर्या के पास नैतिक वह धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेजना चाहिए। जो संसार में मुस्कान बिखेरती है खुद आंसू पी कर रह जाती है वो गुरूवर्या क्या गुरूवर्या एक नया इतिहास रचाती है। नवदीक्षित साध्वी चित्तेलहांजना श्रीजी के सांसारिक माता -पिता मनोज-सरला देवी एवं दादी चांद कंवर का बहुमान खरतरगच्छ श्री संघ के द्वारा किया गया।। गुरुवर्या को शांतिदेवी बोथरा परिवार की ओर से चादर भेंट की गई। एवं 11 जुलाई 2019 को खरतरगच्छ के प्रथम दादा गुरुदेव जिनदत्त सुरि का 865वां स्वर्गारोहण दिवस है।इस अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंच संचालन कमल बांठिया ने किया मंगल प्रवेश के अवसर पर गौतमचंद कोठारी, केवलराज बच्छावत,केवल चंद डागा, पदम चंद कोठारी, पुर्व पार्षद सम्पत सेन, नोरतन तोलावत, ऋषभ मोदी, कुशल ,कल्प खजांची, शिखरचंद दुग्गड, नेमीचंद डोसी
सरदार मल डागा, बस्तीमल बोथरा, खेमचंद खजांची, नरपत कोठारी, अखिल डागा, फतेहचंद ललवानी,लालचंद ललवानी,राजु कोठारी, महिमा,प्रिंयका, नीतु चन्दन बोथरा, ललिता कोठारी, सरिता डोसी, सरिता खजांची, राज कुमारी लुणावत, संगिता चोरड़िया, संगीता डागा, ब्यावर के पारस मल मेडतवाल , महेंद्र छाजेड़, विरेन्द्र लुनिया, जिनेन्द्र धारिवाल, क्रांति लाल डोसी, आदि जैन समाज के श्रावक-श्राविकाऐ मौजूद थे।