गाजियाबाद। एमएमजी अस्पताल में फांसी लगाने वाले युवक की मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया। आरोप है कि इलाज में लापरवाही न बरती जाती हो उसकी जान बचाई जा सकती थी। वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि युवक को मृत ही अस्पताल लाया गया था। परिजनों का आरोप था कि वह युवक को निजी अस्पताल ले जाना चाहते थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन और पुलिस किसी ने सहयोग नहीं किया।
साहिबाबाद की वृंदावन गार्डन कॉलोनी में आराधना सिनेमा के पास रहने वाले डैनी वर्मा एक फैक्ट्री में नौकरी करता था। गुरुवार दोपहर उसने घर पर फांसी लगा ली। जिसके बाद परिवार वाले उसे एमएमजी अस्पताल लाए थे। डैनी के दोस्त धर्मेंद्र ने बताया कि जब परिजन घटनास्थल पर पहुंचे थे तो डैनी जिंदा था। उसके बाद पुलिस के साथ उसको एमएमजी अस्पताल लेकर आए। वहां इमरजेंसी में परीक्षण के बाद चिकित्सक ने कहा कि वह केवल एक-दो घंटे का मेहमान है। उसके बाद उसकी इसीजी की गई और बाद में मृत घोषित कर दिया। रोहित का कहना था कि वह डैनी को निजी अस्पताल ले जाना चाहते थे। लेकिन अस्पताल प्रबंधन और पुलिस ने सहयोग नहीं किया। ठीक उपचार ना मिलने की वजह से डैनी की मौत हुई है। वहीं, इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर का कहना है कि पुलिस उसे मृत हालत में अस्पताल लाई थी। परिजनों को दिलासा देने के लिए उन्होंने जबरन डैनी की ईसीजी करवाई थी। अस्पताल के सीएमएस डॉ. रविंद्र राणा ने कहा कि युवक को मृत हालत में अस्पताल लाया गया था। फिर भी यदि परिजन लिखित में शिकायत देते हैं तो मामले की जांच करवाई जाएगी