गाजियाबाद: शॉपिंग मॉल में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश

गाजियाबाद। इंदिरापुरम पुलिस और साइबर सेल की टीम ने वैशाली सेक्टर-1 स्थित क्लाउड-9 शॉपिंग मॉल में चल रहे फर्जी कॉल सेंटर (एमएस इटेलिक सर्विस) का पर्दाफाश किया है। कॉल सेंटर में काम करने वाली चार युवतियों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से पांच लाख रुपये, 16 मोबाइल, तीन नोटबुक और अन्य दस्तावेज मिले हैं। फर्जी कॉल सेंटर के जरिये इन लोगों ने कुछ दिनों पूर्व मेरठ के एक व्यक्ति से बीमा पॉलिसी रिन्युअल कराने के नाम पर 70 लाख रुपये ठगे थे। पुलिस के मुताबिक, अब तक यह गैंग करीब पांच करोड़ से ज्यादा की ठगी कर चुका है।

एसपी सिटी श्लोक कुमार ने बताया कि आरोपी भारत कुमार निवासी भूड़ भारत नगर, गौरव निवासी सेक्टर-12 विजय नगर, संजीव निवासी साउथ गणेश नगर मंडावली दिल्ली, ज्योति निवासी हर्ष विहार नंदनगरी, ममता निवासी मंडोली दिल्ली, पूजा निवासी शांति मोहल्ला वेलकम दिल्ली और भावना निवासी पूर्वी विनोद नगर दिल्ली हैं। इनका मास्टर माइंड आसिफ फरार है। एसपी सिटी ने बताया कि पिछले दिनों इन्होंने मेरठ के रहने वाले एक व्यक्ति से इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्युअल कराने के नाम पर 70 लाख रुपये ठगे थे। आरोपियों ने उनका डाटा लेकर कॉल किया और बताया कि आपकी इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि खत्म होने वाली है। उन्हें बेहतर ऑफर दिया और झांसा देकर रकम ठग ली। इसके बाद पॉलिसी रिन्युअल नहीं हुई तो उन्होंने स्थानीय पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने साइबर सेल की मदद से लोकेशन ट्रेस की और फर्जी कॉल सेंटर तक पहुंच गए।

सिर्फ 10 रुपये में खरीदते थे एक व्यक्ति का डाटा

एसपी सिटी श्लोक कुमार ने बताया कि फर्जी कॉल सेंटर चलाने वाला यह गैंग एक व्यक्ति से लोगों का पर्सनल डाटा खरीदता था। अजीत नाम का एक व्यक्ति उन्हें डाटा बेचता था। एक व्यक्ति के डाटा को खरीदने के लिए वह 10 रुपये खर्च करते थे। इसमें उन्हें नाम, पता, मोबाइल नंबर, फोटो, पॉलिसी नंबर की जानकारी मिल जाती थी। इसके बाद वह लोगों को फोन करते थे और खुद को आईआरडीए (इंश्योरेंस रेग्यूलेरिटी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) से बताते थे। वह लोगों को विश्वास दिलाते थे कि वह सरकारी एजेंसी से बोल रहे हैं। पूरी डिटेल खुद ही बता देते थे, इस पर लोगों को यकीन हो जाता था। इसके बाद ऑनलाइन खातों में रकम ट्रांसफर करा लेते थे। लोगों को फर्जी पॉलिसी नंबर आदि देकर ठगी करते थे।
हिस्सेदारी लेकर इमानदारी से करते थे बेईमानी का धंधा
पुलिस के मुताबिक, ठगी का यह धंधा हिस्सेदारी पर चलता था। आसिफ इन लोगों को बताता था कि कब-किस बैंक खाते में रकम ट्रांसफर करानी है। वह खातों को ऑपरेट करता था। खाते में आने वाली ठगी की रकम में से 55 फीसदी हिस्सा आसिफ रखता था और 45 फीसदी अन्य लोगों को मिलता था। कॉल सेंटर में काम करने वाले कर्मचारियों को 20 हजार रुपये महीना पगार मिलती थी। एसपी सिटी ने बताया कि आसिफ ने कॉल सेंटर में काम करने वाले भारत को एक डेबिट कार्ड दे रखा था। इस कार्ड से वह अपने हिस्से की 45 फीसदी रकम निकाल लेता था। अब एक बैंक की मैनेजर पूजा ध्यानी ने भी इन लोगों के खिलाफ इंदिरापुरम थाने में फर्जीवाड़ा कर खाता खुलवाने की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

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