संयम और समता अपनाये शिक्षक…डा.साध्वी कुंदन रेखा जी
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पीतमपुरा दिल्ली
5-9-2019
मनुष्य के जीवन विकास में शिक्षक की अहम भूमिका होती है,यह बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है ।अत:शिक्षक व्यसन मुक्त हों,शिक्षक में कषायों की प्रबलता न हो, सैलरी के साथ उनकी निष्ठा जुड़े, शिक्षक संयम और समता के साथ विद्यार्थियों के विकास में साधक बने।गुरु द्रोण ने की तरह स्वार्थ के वशीभूत होकर बाधक न बने, बल्कि डॉ.राजेंद्र प्रसाद जैसे शिक्षक बने ।
उपरोक्त प्रेरणा *डॉ.साध्वी कुंदन रेखा जी* ने प्रीतमपुरा में खिलोनी देवी धर्मशाला में उपस्थित श्रावक समाज के माध्यम से सामने रखी । इस अवसर पर साध्वीश्री सौभाग्य यशा ने मनोवैज्ञानिक शिक्षक के रूप में आचार्य श्री कालूगणी का स्मरण किया।
साध्वी कर्तव्य यशा ने गुरु की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए गुरदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी को शत शत नमन किया ।अणुव्रत समिति दिल्ली की मन्त्री डॉ.कुसुम लुनिया ने विश्व के प्रथम शिक्षकगुरु आदिनाथ रिषभदेव को श्रद्धा संमरण किया जिन्होंने ब्राह्मी और सुंदरी के माध्यम से समग्र विश्व को लिपी और गणित का ज्ञान दिया तथा आज राष्ट्रपति भवन में सम्मानित होने वाले सर्वश्रेष्ट शिक्षकों की भी चर्चा की।इस अवसर पर पीतमपुरा सभा के अध्यक्ष श्री लक्ष्मीपत भुतेडिया,श्री हेमराज जी बैद,परविन जैन,श्यामलाल जैन,राजेन्द्र जैन आदि श्रावक समाज की विशेष उपस्थिति रही।
साभार प्राप्त
डा. कुसुम लुनिया
मंत्री,अणुव्रत समिति दिल्ली