माता पिता की सेवा करना ही अड़सठ तीर्थ है- रामाचार्य

रामदेव बिश्नोई सजनाणी संवाददाता घंटियाली

जाम्भा। निकटवर्ती गुरु जम्भेश्वर मन्दिर मोटाई मे चल रही सात दिवसीय विराट जाभांणी हरिकथा के चौथे दिन मंगलवार को कथावाचक रामाचार्य ने सत्य के मार्ग पर चलने की सद्भावना देते हुए कहा की चार आश्रमों की शिक्षा को मध्यनजर रखते हुए जीवन यापन करना चाहिए जिससे आत्मा का परमात्मा के मिलन का मार्ग प्राप्त हो सकता है।

उन्होंने कहा कि आज के युग में नौजवान लड़के माता पिता के कदर नहीं करते हैं। हमें माता पिता की सेवा करना ही अड़सठ तीर्थ के समान है। आचार्य ने श्रदालूऔ को कथा वाचन के दोरान कहा की वर्मचार्य, ग्रहस्थ , वानप्रस्थ व संन्यास आश्रम से होते हुए परमात्मा की भक्ति में लीन होना ही जीवन का अंतिम लक्ष्य हैं। हमें पर्यावरण की रक्षा करनी व नशे से दूर रहकर शिक्षित व संस्कारित समाज बनाना चाहिए।

वही जांभाणी हरिकथा के चौथे दिन श्रद्धालुओ का भारी जमावङा देखने को मिला व आसपास के गांवो से श्रद्धालुओ के आने जाने का लम्बा तांते के साथ पाडाल खचाखच भरा रहा। इस दौरान कथा में युवाओं, बुजुर्गों,विद्यार्थियों तथा सेवक दल के सदस्यों ने बढ़चढ़ कर सेवा में भाग लिया। इस कथा मौके पर पेमाराम तेतरवाल,मोमराज, हीराराम,हनुमान राम, सहीपाल, अरविंद तेंतरवाल, अशोक भादु ,सोमराज भादु ,सुनील भादू ,सुरेन्द्र भादु, पवन भादु , महेंद्र तेंतरवाल विकास तेतरवाल खमुराम गोदारा सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहे।

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