जे पी मौर्या, ब्यूरो चीफ, गाजियाबाद : साहिबाबाद। तीन पीढ़ियों से हर बार रामलीला में बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाने वाले मुस्लिम परिवार का भगवान राम में बेहद आस्था है। परिवार के सदस्यों का कहना है कि राम में आस्था की वजह से ही वह लोग हर बार पुतला बनाने के लिए जब भी शहर आते हैं, परिवार के छोटे बच्चों को भी लेकर आते हैं ताकि वह अच्छे और बुरे के अंतर को समझ सकें।
शहर की रामलीला में हिंदी और मुस्लिम परिवारों का यह संगम बेहद सकारात्मक संदेश देता है। कमेटी संचालकों का कहना है कि रामलीला बिना मुस्लिम भाइयों के अधूरा है। रामलीला में पुतला बनाने से लेकर आतिशबाजी करने हर साल मुस्लिम परिवार ही आते हैं। यह सिलसिला दशकों से चलता आ रहा है। दिन में कारीगर पुतले बनाते हैं तो रात में परिवार समेत बैठकर रामलीला देखते हैं।
खास बात यह है कि इन मुस्लिम परिवार का प्रत्येक राम की अच्छाई और रावण की बुराई से वाकिफ हैं। पुतला बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि अच्छा और बुरे के बीच का अंतर समझाने के लिए वह लोग परिवार के बच्चों को लेकर रामलीला जरूर आते हैं। गाजियाबाद ही नहीं दिल्ली व पानीपत आदि शहरों में यह लोग पुतले बनाते आ रहे हैं। आम दिनों में खेती करने वाले यह मुस्लिम परिवार रामलीला के दौरान पुतले का निर्माण ही करता है।