ANIL KUMAR SONI /COORDINATOR BIHAR ✍️

बिहार Bihar आज विश्व पर्यावरण दिवस पर अलग-अलग बीस तरह के पौधारोपण पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव के द्वारा किया गया, अब तक 10 लाख से ज्यादा पेड़-पौधे लगा चुके पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव। वही पर्यावरण के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित यादव अपना पूरा समय इसी में व्यतीत करते हैं।
इस नेक कार्यों के लिए पर्यावरण प्रेमी गजेंद्र यादव को बिहार सरकार के द्वारा कई बार सम्मानित भी किया गया हैं। आज विश्व पर्यावरण दिवस पर पर्यावरण से जुडी बिशेष जानकारीयां को शेयर भी किये।

एक मनुष्य को सालभर मे औसतन 750 किलोग्राम आक्सीजन की आवश्यकता होती है जबकि एक व्यस्क वृक्ष साल भर मे लगभग 118 किलोग्राम आक्सीजन का उत्पादन करता है आप इसी तथ्य से वृक्ष के महत्व को समझ सकते है । इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 5 वृक्ष अपने जीवन काल मे अवश्य लगाने चाहिए, क्योकीं हर व्यक्ति यही चाहता है कि उनके बच्चें सदा स्वस्थ एंव आनन्द मे रहे, बच्चों के लिये वह बैंक बैलन्स , भूमि , मकान आदि की व्यवस्था तो करना चाहता है परन्तु यह भूल बैठा है कि जब सांस लेने के लिये शु़द्व वायु ही शेष नही रहेगी तो इन सब वस्तुओं का क्या लाभ मिलेगा, यह बहुत ही गम्भीर विषय है। परन्तु लोग इसके बारे मे बिल्कुल भी गम्भीर नही है।

जैसा कि आप सभी जानते है कि वन के बिना जीवन संभव नही है पर्यावरण में प्राणदायक शु़द्व आक्सीजन , वर्षा कराने मे सहायक , मटटी के कटान रोकने , लकड़ी उत्पादन, औषधी एंव जंगली जीव जन्तुओं को आश्रय आदि देने मे वनो का महत्वपूर्ण योगदान है फिर भी वन संरक्षण के प्रति इतनी उदीसीनता क्यों हैं?

किसानो द्धारा खेतों की हदबन्दी यदि वृक्ष रोपण के द्धारा कर दी जाये तो किसानो की आय के साथ साथ वातावरण की शु़द्धता मे भी वृद्धि की जा सकती है इस प्रकार की हदबन्दी द्धारा वृक्ष अधिक मात्रा मे लगेगें जिसके कारण वर्षा भी अधिक होगी , सूखे जैसे समस्या का भी सामना किसानों को नही करना पड़ेगा। वास्तव मे बहुत अधिक भूमि आज भी ऐसी ही खाली पड़ी हुई जहां पर न तो कोई कृषि हो रही है और न ही वृक्षरोपण इसका उदाहारण रेलवे के द्धारा अधिकृत भूमि का लिया जा सकता है यदि रेलवे ही अपनी जरूरत मे न आने वाली अधिकृत भूमि पर वृक्षरोपण के लिये गम्भीर हो तो हमारे देश मे बहुत अधिक संख्या मे वृ़क्षरोपण का कार्य सफलता पूर्वक किया जा सकता है और अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाने मे सहायता मिल सकती है।

जहाॅ पर वन नही होते है तो वह स्थान धीरे-धीरे रेगिस्तान मे परिवर्तित हो जाता है इसका उदाहारण राजस्थान राज्य है जहाॅ सैकड़ो वर्ष पर कभी हरियाली एंव वन सम्पदा हुआ करती थी कभी सरस्वती जैसी बड़ी नदी भी गुजरात से राजस्थान होती हुई प्रयागराज ; इलाहाबाद तक बहती थी, अब विलुप्त हो चुकी है, इसके उपरान्त भी वनो का अंधाधुध कटान होता गया और उसका फल यह निकला की अब वहाॅ पर रेत के बड़े बड़े टीले दिखायी पड़ते है तथा वर्षा का स्तर एंव भूगर्भ जल भी बहुत निचले स्तर पर पहुॅच गया। वनो के कटान के कारण ग्लोबल वार्मिंग होने लगी है , ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे है , सर्दी का मौसम भी लगतार छोटा होता जा रहा है गंगा जैसी बड़ी एंव महान नदी के जलस्तर मे भी प्रति वर्ष कमी देखी जा रही है इसके पीछे भी वनो का कटान ही है। सरस्वती नदी का विलुप्त होने का कारण भी वनो का सरंक्षण न हो पाना ही है। यदि वनों का संरक्षण एंव रोपण न किया गया तो सरस्वती जैसा ही हाल गंगा नदी का भी हो जाएगा तथा ये महान नदी भी इतिहास का हिस्सा बन जायेगी ।

सभी लोग जानते है कि जिस स्थान का वातावरण शुद्ध होता है वहाॅ लोग बहुत कम बीमार पड़ते है तथा दीर्घ आयु जीते है यही कारण है कि हरे भरे पहाड़ी क्षेत्रों मे बहुत ही कम रोगी आपको देखने को मिलेगे तथा शुगर, हाईब्लडप्रेशर, कैंसर , टीबी , आदि गम्भीर रोगियों की संख्या इन क्षेत्रों मे बहुत कम होती है इसके पीछे इन स्थानो का शुद्ध वातावरण ही है वहीं दूसरी ओर आप दिल्ली जैसे शहरों को देखे तो प्रत्येक 3 मे से 1 व्यस्क किसी न किसी रोग से ग्रस्त है तथा सर्दी के मौसम मे यहाॅ पर श्वास लेना भी मुश्किल हो जाता है क्योंकी यहाॅ का वातावरण पूर्णतया दूषित हो चुका है ।
उपस्थित नथुनी यादव, श्रवण राम, वेद प्रकाश यादव, नन्हु राम
भिखम यादव, ओमप्रकाश यादव
रूदल चौधरी, पप्पू साह, प्रजा राम इत्यादि।