48 लाख का पैकेज छोड़कर अपनाया संयम पथ
मोह माया को त्याग कर अर्पित जैन बने अनन्य मुनि

न्यूज़ कवरेज निर्मल जैन बालेसर
बालेसर आचार्य राम लाल जी महाराज साहब के मुखारविंद से बालेसर में 24 दिसंबर को दीक्षा संपन्न हुई दीक्षा एकदम सादगी पूर्वक हुई दीक्षार्थी अर्पित मरलेचा उम्र 43 वर्ष निवासी चैंगलपेट (तमिलनाडु) जो जोकि विगत 12 सालों से उत्कृष्ट श्रावक जीवन का पालन करते हुए संयम पथ को अपनाया।

दीक्षा स्थल पर प्रवचन में आचार्य श्री रामेश ने कहा कि “अहिंसा वीरों का धर्म है संयम वीरों का धर्म है।” आज दुनिया के अधिकांश लोग धन दौलत बटोरने में लगे हुए हैं जबकि साथ जाने वाला नहीं है। आचार्य श्री ने कहा कि भौतिक पदार्थों में कोई सुख नहीं है सच्चा सुख तो संयम व अध्यात्म में है हम अपनी आत्मा शक्ति को जगाए साधु जीवन श्रेष्ठ जीवन है
उपाध्याय प्रवर राजेश मुनि ने अपने प्रवचन में भी कहा कि मुनि जीवन सर्वोच्च जीवन है साधना के मार्ग पर विरले आत्मा ही आगे बढ़ती है।

अनन्य मुनि का सांसारिक जीवन परिचय
पिता सुमति चंद मरलेचा
माता। निर्मला देवी
पत्नी सुनीता मरलेचा
बेटी दीक्षा, देशना
भाई प्रतीक,प्रणिक
शिक्षा इंजीनियरिंग
आपको बता दें कि अनन्य मुनि जिनका लंदन में 48 लाख का पैकेज था उनको छोड़कर वह संघ सेवा धर्म सेवा और माता पिता की सेवा के लिए नौकरी छोड़कर वापस भारत आ गए ।अपना जीवन संत व समाज सेवा में लगा दिया व आज खुद दीक्षा लेकर संयम पथ को अपना लिया।

मंच का संचालन गुलाबचंद चोपड़ा व महेश नाहटा ने किया। महिला मंडल द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत कर सभी का अभिनंदन किया गया ।इसके बाद अध्यक्ष पुखराज सांखला ने सभी का आभार जताया।
इस मौके पर अखिल भारतीय साधु मार्गी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौतम चंद रांका उपाध्यक्ष नेमीचंद पारख,महेश नाहटा,मदनलाल जैन ,पुखराज जैन , गुलाबचंद चोपड़ा,प्रकाश चंद जैन,पारसमल जैन, मुन्नालाल जैन,राकेश जैन,धर्मेश जैन,गजेंद्र जैन,दौलत जैन,प्रमोद जैन,दिलीप जैन आदि आसपास गांव के कई लोग मौजूद थे।
