एसपी शामली अजय कुमार व उनकी पुलिस ने मानवता की पेश की एक और मिसाल…
राजेश कुमार, key line times
बालक की प्रतिभा और व्यक्तित्व देखा। और फिर सुनी उसकी माँ की करूण कथा। यह सब सुनकर अपने पढ़ाई के दिनों का संघर्ष भी आँखों के सामने नाच गया….
फिर, बालक प्रतीक से पूछा कि कितनी मदद में काम चल जाएगा…उन्होंने बड़ी ईमानदारी से साल भर की पढ़ाई का ख़र्च दस हज़ार रूपए बताए।
बस, लगा कि इस अभाव ग्रस्त किन्तु मेधावी बालक की मदद होनी चाहिए…और फिर तत्काल अपने एक दिन के वेतन और कार्यालय के कुछ सहकर्मियों के एक दिन के वेतन को एकत्र कर दस हज़ार रूपए की सहायता प्रदान करने की यह कार्यवाही की गई!
*पर, साथ में यह कहना चाहता हूँ कि मन का दर्द कहीं और गहरा हुआ कि प्रतीक तो एक प्रतीक मात्र है, पूरे देश में न जाने कितने ऐसे ही अभाव ग्रस्त बालक होंगे जिनकी प्रतिभा अभावों के दलदल में धँसकर दम तोड़ देती होगी।*
काश…हमारा सभ्य समाज अपना दिल बड़ा कर सके और आसपास के ऐसे तमाम बालकों की यथोचित मदद हो सके ताकि भारत की कोई भी प्रतिभा संसाधनों के अभाव के चलते बर्वाद न होने पाए…
फिर यही सोचा कि “माना अँधेरा घना है, पर दिया जलाना कहाँ मना है।” और, तमाम आशीर्वाद व शुभकामनाओं के साथ उन माँ-बेटे की समस्या का समाधान करते हुए उन्हें ससम्मान विदा किया गया।