अनुज पंत,विशेष संवाददाता
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यें आपका ओर मेरा कर्म नहीं हैं! यें हम सबका कर्म हैं! हमको पानी और पेड़ दोनो बचाने होगे! क्यूँकि अगर पेड़ नहीं होगे, तो पानी उनकी जड़ो में स्थिर नहीं होगा! और अगर पानी स्थिर नहीं होगा, तो नदी और तालाबों में परिवर्तित नहीं होगा! अभी समय हैं, लेकिन कुछ देर और की
तो सब हाथ से निकल जयेगा! जय हों आर॰एफ़॰आर, जय हों सधगुरु जीं
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