गाजियाबाद/साहिबाबाद। अर्थला झील की जमीन पर बने मकानों में रहने वाले लोगों को एनजीटी से राहत नहीं मिली। इन लोगों की ओर से पक्षकार बनने की अपील को एनजीटी ने खारिज कर दिया है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जद में आ रहे लोगों ने मकानों की रजिस्ट्री के दस्तावेजों के होने का जिक्र किया, ट्रिब्युनल ने उन्हें अन्य संबंधित फोरम पर अपनी बात रखने के लिए कहा है।अर्थला झील की जमीन पर बने मकानों को ध्वस्त कर झील को कब्जामुक्त करने के लिए एनजीटी ने पूर्व में आदेश दिया था। 29 मई को नगर निगम और जिला प्रशासन ने यहां कार्रवाई कर 18 मकान ध्वस्त कर दिए थे। इसके बाद अर्थला में प्रभावित मकानों में रह रहे लोगों ने एनजीटी का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने इस केस में पक्षकार बनाए जाने के लिए याचिका दाखिल की थी। मकान मालिकों की ओर से कहा गया था कि अर्थला गांव के खसरा संख्या-1445 की जमीन झील की जमीन नहीं है। उन्होंने एक व्यक्ति से यह जमीन खरीदी है। जिसके बाद रजिस्ट्री कराकर मकान बनाए हैं। उनका भी पक्ष सुना जाए। चार जून को हुई सुनवाई के दौरान एनजीटी ने कहा है कि याचिका दायर करने वाले सुशील राघव बनाम सरकार के बीच अर्थला झील की जमीन पर अतिक्रमण के केस पर सुनवाई चल रही है। राजस्व रिकॉर्ड में खसरे की जमीन को झील का हिस्सा बताया गया। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि वह जमीन का टाइटल (नवैय्यत) तय नहीं कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें किसी दूसरे फोरम पर जाना चाहिए। यह कहते हुए एनजीटी ने पक्षकार बनाने की अपील खारिज कर दी।
एनजीटी ने उनका पक्ष नहीं सुना। अपने मकान को बचाने के लिए उन्हें जो भी करना पड़ेगा वह करेंगे। इसके लिए उन्हें हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट भी जाना होगा तो वह जाएंगे। – हरि ओम
अपनी जमा पूंजी लगाकर मकान खरीदे हैं। उनका आशियाना छीना तो वह बेघर हो जाएंगे। अपने आशियाने को बचाने का वह हर संभव प्रयास करेंगे। – रामवीर
हमने मकान खरीदा है। इसकी रजिस्ट्री भी है। कई वर्षों से यहां रह रहे हैं। अगर यह झील की जमीन है तो जब मकान बन रहा था तो तभी अधिकारियों को रोकना चाहिए था। – मीरा चौधरी
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अर्थला में हुई 172 रजिस्ट्री के दस्तावेजों की जांच करेंगे मजिस्ट्रेट
– डीएम ने दिए जांच के आदेश, रजिस्ट्री और कब्जे की जमीन का भी होगा वेरिफिकेशन
गाजियाबाद। अर्थला में झील के खसरा नंबर-1445 पर बसे लोगों से मिली रजिस्ट्री दस्तावेजों की जांच के लिए डीएम ने आदेश दिए हैं। डीएम ने रिपोर्ट मांगी है कि झील की जमीन पर रजिस्ट्री किसने, कब और क्यों की। यह भी जांचा जाएगा कि कहीं रजिस्ट्री दूसरे खसरा नंबर पर करके कब्जा झील की जमीन पर तो नहीं दिया गया। 29 मई को हुई ध्वस्तीकरण के दौरान 172 लोगों ने नगर निगम की टीम को रजिस्ट्री के दस्तावेज दिखाए थे। उनका दावा था कि उन्होंने कब्जा नहीं किया, बल्कि जमीन किसानों से खरीदी है। वहीं वर्ष 2000 में नगर निगम और एक किसान के बीच जमीन की अदलाबदली का भी दस्तावेज मिला है। इसके मुताबिक नगर निगम ने एक किसान से जमीन बदले में ली थी। अब इस दस्तावेज की भी जांच की जाएगी। तहसील की टीम मौके पर जाकर भौतिक तौर पर भी इनका परीक्षण करेगी। डीएम को अब 10 जुलाई को एनजीटी के समक्ष आदेशों की अनुपालन रिपोर्ट पेश करनी है। ऐसे में इससे पहले जिला प्रशासन और नगर निगम फिर से ध्वस्तीकरण की कार्रवाई कर सकता है। इसी के चलते यह कवायद शुरू की गई है।