40 से50 क्विंटल शक्कर की बनती है सिँगोडे की सेव
की लाइन टाइम्स न्यूज़ /निर्मल जैन
फलोदी के आर. बोहरा ने बताया कि हिन्दू शास्त्रों के अनुसार वर्ष के बारह महीनों मे बारह त्यौहार मनाये जाते हैं जिसमें एक निर्जला एकादशी का त्यौहार मनुष्य जीवनौदार का पर्व की मान्यता है. निर्जला एकादशी हर वर्ष जैष्ठ माह की शुक्ला एकादशी को मनाई जाती है शास्रों की मान्यता है की वर्ष मे 24 एकादशीयाँ मे व्यक्ती मात्र एक निर्जला एकादशी का वृत रखकर अपने जीवन का उद्धार कर सकता है इस वृत से भगवान विष्णुजी साक्षात प्रसन्न होते है।
इस त्यौहार को मुख्य रूप से मिट्टी की मटकियां ठंडे जल से भरी हुई. शरबत, पँखे, सिँगोडे की सेवो के साथ आम शक्कर के लड्डू,ठण्डाई, पैठा,आदी का दानपुण्य के अलावा पिने के पानी की जगह जगह व्यवस्था करना महात्यम माना जाता है।फल़ोदी के पवन जेठमल पँचारियाँ पिछली चार पिढी से इस सेवा कार्य से जुडे है फल़ोदी नहीं बल्कि एक सौ कि.मी.परिधि मे बिना हानि लाभ{ no profit no loss}के सिँगोडे की सेवे तैयार कर पहुंचाते है।