सुरेंद्र मुनोत,स्टेट चीफ रिपोर्टर, पश्चिम बंगाल
आर.के.जैन,एडिटर इन चीफ
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आचार्य महाप्रज्ञ की १०० वीं जन्म शताब्दी पर……..
हे देव, तुम न जाने
कहां विलीन हो गए
इस जहां को छोड़कर
किस जहां में लीन हो गए ।
याद आता है, वो तुम्हारा,
शांत, स्निग्ध मुखमंडल
आंखों में बहता था
पीयूष कल – कल. ।
विचारों का चिंतन था
गूढ़ और गहन
समझाते थे कहानियों के साथ
बनाकर सहज ।
समाधान देगा, प्रेक्षाध्यान
जन जन को था ,पाठ पढ़ाया
आत्मा धुली,सम्यक्त्व जगा
उज्जवल बन गई काया. ।
तुममें थी गुरु के प्रति
भक्ति निष्ठा आलौकिक
शिष्यों को करती रहती
तुम्हारी सद्प्रेरणा उत्साहित ।
हे चैत्य पुरूष, कैसी अनुपम थी
वो कोमल काया
बार-बार था निहारा
पर मन नहीं भर पाया ।
तुम्हारा अद्वितीय आभामंडल
जिससे घट-घट दीप जले
नया मानव, नया विश्व
धर्म के थे सूत्र पले।
मन के जीते जीत,जैन योग
और भिक्षु विचार दर्शन
मेरी दृष्टि मेरी सृष्टि
ये हैं चेतना के उध्वारोहण।
न जाने ऐसी कितनी है,
तुम्हारी अनुपम कृतियां
शब्द सीमित है,गुण असीम है
अनोखी है. वृतियां ।
तुम थे धरा पर …
एक पुरुष अवतारी
वैशाखी ग्यारस को छोड़ गये
स्तब्ध नर और नारी ।
हे देव कमी खलती है तुम्हारी
अर्जी हमारी स्वीकार लो
प्यासी धरती, प्यासा जनमानस
पुनः एकबार अवतार लो
पुनः एकबार अवतार लो ।
संस्थापक एंव राष्ट्रीय अध्यक्ष
“उपभोक्ता एंव मानव अधिकार रक्षा समिति”
” युनिटी आफ प्रैस एण्ड मिडिया ऐसोसिएशन”
“अहिंसात्मक विचार एंव जागरुकता संघ”